खुद की पहचान के लिए हमने जतन अकेले किया,
लाखो की भीड़ में हमने खुद को अकेले पाया,
हुआ कुदरत का ये करिश्मा एक फरिस्ता हमने पाया,
राही को मंजिल पहुचने तक साथ उसने दिया!
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Maya Manzil
maya.manjil@gmail.com
लाखो की भीड़ में हमने खुद को अकेले पाया,
हुआ कुदरत का ये करिश्मा एक फरिस्ता हमने पाया,
राही को मंजिल पहुचने तक साथ उसने दिया!
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