आसमा की उचाई को जान ना जाऊ,
पानी के बहाव को थाम ना जाऊ,
सितारों की चमक को रोक ना जाऊ,
कही खुद में मैं ही खो ना जाऊ !
फूल की खुशबू को महक ना जाऊ,
समुद्र की लहर को रोक ना जाऊ,
सूरज की रौशनी को भसम ना जाऊ,
कही खुद में मैं ही खो ना जाऊ !
हवा के झुकाव को मोड़ ना जाऊ,
आग की लपेट को मिटा ना जाऊ,
चाँद की चांदनी को मिटा ना जाऊ,
कही खुद में मैं ही खो ना जाऊ !
हर सफ़र का हमसफ़र बन ना जाऊ,
मंजिल में अड़चन को हटा ना जाऊ,
राही को मंजिल तक पंहुचा ना जाऊ,
कही खुद में मैं ही खो ना जाऊ !
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Maya Manzil
maya.manjil@gmail.com
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